सावन
Photo credit..Roop Singh
सावन
कुछ समय पहले कि ही बात है..
जब ये 'सावन', आया ना था..
ये पहाड़ , कितने उजाड़ और विरान थे..
इनकी सुलगती ऊंचाइयों को देख, डर लगता था..
और अब ! सावन के आने से..
क्या गजब की छा गई है, हरियाली इनपर..
रोज़ ही लगती है, रिम-झिम झड़ी फुहारों की..
और फूट आएं है चट्टानों से, झरने कितने..
लगता है जैसे ! कोई गीत छिड़ने वाला है..
वातावरण में, तत्क्षण ही.....
अब तो, इन पहाड़ों केेे चरम शिखर पर चढ़ जाने को जी चाहता है..
एक अस्पष्ट ध्वनि सुनाई सी पड़ती है...
नूपुरों की, हर एक दिशा से...
स्मृति की बेल पर जैसे, स्वर्ण पुष्प खिल रहे हें...
हर एक गरज के साथ. ...
और झूम - झूमकर बरस रहा है, सावन....
नाच रहा है, ये मयूरा मन...!
बस ! अब एक ही बात उठ रही है .....!
हिया से. ..!
के, हाय ! ये सावन की रुत चली ना जाए..!
चली ना जाए , कहीं 'ये रुत....!!
'ये रुत, सावन की ....!!
(C) @ Roop Singh 19/06/2015
कब तक ना आती आखिर
धूप थी सह गया..........!
अंधेरों मे भी रह गया...!!
पर ये बारिश क्या आई. !
तेरी यादों में वह गया....!!
(c) @ Roop Singh 16/ 06/2003
बरस मेरी रूह पर
मैं बरसो से हूं विरान , किसी उजाड़ बंजर कि तरह. ...!
तू बरस........!!
तू बरस. .......!!
मेरी रूह पर किसी, सावन के मंजर कि तरह. ..........!!
(c) @ Roop Singh 18/06/2003
बदलाव
जिंदगी कभी एक जैसी नहीं रहती। वो हर पल बदलती रहती है।चेहरे की लकीरों में, रिश्तों की गांठों में, अटकलों में, आशंकाओं में, सोचने समझने की शक्ति में, देह की गर्मी में, आवाज़ की गरज़ और लरज़ में, टूटते बंधनों में, छूटते सपनों में जिंदगी बदलती ही रहती है।
जिंदगी अपने प्रयासों में भी बदलती है। जब हम एक सकारात्मक दृष्टिकोण से जिंदगी में आगे बढ़ते है। तब हम बेहतर शिक्षा ग्रहण करते है, हम अपने जीने का तरीका विकसित करते है। जिसमें हम अपने बोलने, चलने , खाने , सोने आदि से लेकर व्यवहार और सामाजिक ढंग में संतुलित सामंजस्य स्थापित कर पाते हैं। हम एक आंतरिक दृष्टि भी प्राप्त कर पाते है। जिसकी सहायता से, हम दुख़ - सुख में, अच्छे - बुरे समय में, प्रकृति के नियमों में, अपने सपनों में , अपनी आस्था और भक्ति में, अपनी आशाओं और आशंकाओं में, अपने अंदरुनी वार्तालाप में और अन्य परिस्थितियों में भी, एक सही सारांश निकाल पाते है। और तब हम जीवन के हर जाते हुए क्षण को बेहतर जी पाते हैं। निश्चय करने और संकल्प को साधने के लिए तैयार हो पाते है।
हमारा दुःख हमें कुछ सिखा कर जाता है। तो हमारी उपलब्धि हमारे संघर्ष को सराहती है। हमें खुशी प्रदान करती है। बदलाव नियति है, बदलाव समय के बहने का साक्ष्य है। हमें बदलाव के लिए तैयार रहना चाहिए। समय के साथ आगे बहते रहने के लिए।
बदलाव ना केवल दुःख जीवन मे लाता है, बदलाव सुख़ भी जरूर लाता है। वर्तमान इसी तरह भविष्य की ओर प्रगति करता है ।
(c) @ Roop Singh 19/06/2015