Tuesday, January 7, 2025

पीड़ा

 पीड़ा

                     Photo credit @ Roop Singh 

पीड़ा 


हृदय टूट टूट कर गिरता है...
बड़े सलिखे से...
जैसे गिरता है झरना ...
कभी कभी तो बहुत उँचे से भी...

तब पीड़ा तो बहुत उठती है...
क्या कहते हो ? बहुत उठती होगी ना !...
और उठता है, एक सुर संगीत का भी...
साथ ही साथ....

मधुर ! पर पीड़ा दायक!
जो चीरता है, छाती को....!!
दबे स्वर में. ..!!

वेदना का गुबार..
उठता है दबता है, फिर उठ जाता है...
कंठ भर आता है, गाड़े शहद सा...
नैनो में उमड़ता है सागर ...

और मुख पर देखो ! 
तब भी खिली रहती है एक हंसी...
जो ख़ुशी ख़ुशी विदा लेना चाहती है...
अब भी...!!
इस गहरी उदास कर देने वाली पीड़ा से....!! 

(c) @ Roop Singh 25/03/21


Photo credit @ Roop Singh 

रात


रात हमेशा कोई कहानी सुनाती है. ..!
कभी उदासी तो कभी उल्लास की और जाने क्या क्या...!!
सो भी गये तो क्या, वो सपनो में सुनाएगी कोई कहानी जरूर...!
ये उसकी फितरत है, रात जरूर कोई कोई कहानी सुनाती है....!!

(c) @ Roop Singh  14/12/23

                                    रात

कोई एक खिड़की है...!
जो केवल रात में खुलती है. ......!

जिंदगी से इतर , दुनिया से परे......!!

(c) @ Roop Singh 19/072025