Wednesday, July 9, 2025

पृथ्वी मेरी माँ

पृथ्वी मेरी माँ 

                    Photo credit @ Roop Singh 


पृथ्वी मेरी माँ 


ओ! मेरी पृथ्वी,  मेरी माँ ...!
तेरे गर्भ से जनमा, ये संसार ...!!
संपूर्ण वनस्पति, संसाधन हजार...!!
भला! होगा कौन अभागा, जिसे ना हो तुझसे प्यार...!!

कण - कण है तेरा जैसे माणिक..!
अमृत की तुझमे बहती, धाराएं कल कल..!
देखो !अम्बर भी तारों संग तुझ्से गौरान्वित..!!
गृह नक्षत्र ओर भानू, तुझपे नैन धरे हे पल पल !!

तेरे परबतों की चोटियां,  आकाश को छू जाती है! 
दुर्बलो को जैसे , साहस से जीना सिखलाती है  !!

समंदर की लेहरों में उठता है,  कैसा माधुर संगीत...!
के,  सुगंधित पवन तो जैसे होई जाये मूर्छित. ..!!

पाख पाखेरु तुझसे हर्षित ।
जीव जंतु सब तुझसे ही पोषित...!!

मानव जाति का तुमसे है कल्याण !
भला होगा कौन अभागा,  जो धरे ना तेरा ध्यान !!

ओ मेरी पृथ्वी मेरी माँ 
तेरी जय हो, जय हो,  जय हो 

(c) @ Roop Singh 22/04/2017


                  Photo credit @ Roop Singh 



 " पृथ्वी मेरी मां "

जब मैं थका हारा
धरा पर कान लगाए
सो जाता हूं बिना बिछौना
तब मैं ! 
निंद्राचित स्वपनलोक में भी सुन पाता हूं
ध्वनि तेरे घ्रूमण की
जैसे तू हो
मेरी निशा की लोरी मां ।।

c@ Roop Singh 29/07/19

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